हिंदी अनुवाद:
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने मंदी की चिंताओं के बीच, विश्वास व्यक्त किया है कि जल्द ही भारतीय अर्थव्यवस्था उच्च विकास पथ के रास्ते पर वापस लौट आएगी।
मुखर्जी ने वित्त मंत्रालय से जुड़ी सलाहकार समिति की चौथी बैठक (इस वित्त वर्ष) में कहा, आर्थिक विकास में मौजूद मंदी सिर्फ अस्थायी है। उन्होंने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था अशांत समय के दोर से गुजर रही है और यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में मंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया है। यूरो क्षेत्र के संकट, बाहरी मांग में मंदी के परिणामस्वरूप निर्यात में मंदी, मुद्रा अस्थिरता और चालू खाते के घाटे से भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के प्रदर्शन में प्रभाव पड़ा।
हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था सितंबर को समाप्त दूसरी तिमाही में 6.9 फीसदी बढ़ी, पिछले दो वर्षों में सबसे कम तिमाही विकास, वित्त मंत्री ने बताया कि खाद्य मुद्रास्फीति 1.8 फीसदी नीचे आ गयी है और वहीँ सामान्य में मुद्रास्फीति में नरमी है। मुखर्जी ने आगे कहा कि बचत दर भी ऊपर गयी थी। हालांकि, सरकार ने कहा है कि मंदी और ताजा खर्च प्रतिबद्धताओं और सब्सिडी की वजह से चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद के 4.6% के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा किया जाना मुश्किल हो सकता है।
English Translation:
Finance Minister, Pranab Mukherjee amid concerns of a slowdown, has expressed confidence that the Indian economy will soon revert back to the path of higher growth trajectory.
The present downturn in economic growth is only temporary, Mukherjee said at the fourth meeting (this fiscal) of the Consultative Committee attached to the Finance Ministry. He said that the world economy is going through turbulent times and the Indian economy has been hit hard by the slowdown in Europe and the United States. The Euro zone crisis, downturn in external demand resulting in slowdown in exports, currency volatility and current account deficit had affected the growth performance of the Indian economy.
Though, the Indian economy grew 6.9 per cent in the second quarter ended September, the lowest quarterly growth in last two years, the Finance Minister pointed out that the food inflation has come down to 1.8 per cent and there is moderation in inflation, in general. Mukherjee further said that the savings rate had also gone up. However, the government has said it would be difficult to meet the fiscal deficit target of 4.6% of gross domestic product in the current fiscal year due to the slowdown and fresh spending commitments and subsidies.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने मंदी की चिंताओं के बीच, विश्वास व्यक्त किया है कि जल्द ही भारतीय अर्थव्यवस्था उच्च विकास पथ के रास्ते पर वापस लौट आएगी।
मुखर्जी ने वित्त मंत्रालय से जुड़ी सलाहकार समिति की चौथी बैठक (इस वित्त वर्ष) में कहा, आर्थिक विकास में मौजूद मंदी सिर्फ अस्थायी है। उन्होंने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था अशांत समय के दोर से गुजर रही है और यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में मंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया है। यूरो क्षेत्र के संकट, बाहरी मांग में मंदी के परिणामस्वरूप निर्यात में मंदी, मुद्रा अस्थिरता और चालू खाते के घाटे से भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के प्रदर्शन में प्रभाव पड़ा।
हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था सितंबर को समाप्त दूसरी तिमाही में 6.9 फीसदी बढ़ी, पिछले दो वर्षों में सबसे कम तिमाही विकास, वित्त मंत्री ने बताया कि खाद्य मुद्रास्फीति 1.8 फीसदी नीचे आ गयी है और वहीँ सामान्य में मुद्रास्फीति में नरमी है। मुखर्जी ने आगे कहा कि बचत दर भी ऊपर गयी थी। हालांकि, सरकार ने कहा है कि मंदी और ताजा खर्च प्रतिबद्धताओं और सब्सिडी की वजह से चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद के 4.6% के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा किया जाना मुश्किल हो सकता है।
English Translation:
Finance Minister, Pranab Mukherjee amid concerns of a slowdown, has expressed confidence that the Indian economy will soon revert back to the path of higher growth trajectory.
The present downturn in economic growth is only temporary, Mukherjee said at the fourth meeting (this fiscal) of the Consultative Committee attached to the Finance Ministry. He said that the world economy is going through turbulent times and the Indian economy has been hit hard by the slowdown in Europe and the United States. The Euro zone crisis, downturn in external demand resulting in slowdown in exports, currency volatility and current account deficit had affected the growth performance of the Indian economy.
Though, the Indian economy grew 6.9 per cent in the second quarter ended September, the lowest quarterly growth in last two years, the Finance Minister pointed out that the food inflation has come down to 1.8 per cent and there is moderation in inflation, in general. Mukherjee further said that the savings rate had also gone up. However, the government has said it would be difficult to meet the fiscal deficit target of 4.6% of gross domestic product in the current fiscal year due to the slowdown and fresh spending commitments and subsidies.
No comments:
Post a Comment