हिंदी अनुवाद:
वित्त मंत्रालय कपड़ा क्षेत्र के लिए ऋण पुनर्गठन के एक प्रस्ताव पर विचार कर रहा है और इस संबंध में निर्णय जल्द ही आने की उम्मीद है। वस्त्र मंत्रालय 1 लाख करोड़ रुपये के लायक बैंक ऋण को फिर से स्थापित करने के लिए उद्योग की मांग पर विचार करने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और वित्त मंत्रालय के साथ इस विषय का पीछा किया गया।
परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एइपीसी) समारोह के मौके पर कपड़ा सचिव रीता मेनन ने कहा, 'हमने पिछले कल वित्त मंत्रालय के साथ एक बैठक की थी और उन्होंने हमें 10 दिनों का समय दिया है, तो हमें आशा है कि हमारे पास नव वर्ष से पहले कुछ हो सकता है। इसके अलावा वित्त मंत्रालय की कपड़ा इकाइयों में बीमारी के मामलों की जांच और तदनुसार एक रिपोर्ट तैयार करने की संभावना है, जो अंतर - मंत्रालयी विचार - विमर्श के द्वारा अनुशरण में लिया जायेगा।
वस्त्र क्षेत्र सूती धागे की कीमतों में तेज गिरावट, खराब घरेलू मांग और पिछले दिसंबर में सूती धागे के निर्यात पर पर अंकुश लगाये जाने पर बुरी तरह आहात हुआ है। अब, रेशम, बिजली- करघा, कताई जैसे क्षेत्रों में एसएमई मियादी ऋण चुकाने में और वित्तपोषण कार्यशील पूंजी की उच्च ब्याज हुकूमत की वापसी पर कठिनाई का सामना कर रही हैं।
English Translation:
The Ministry of Finance is considering a proposal of loan restructuring for the textile sector and a decision in this regard is expected soon. The textiles ministry has been following the matter with the Reserve Bank of India (RBI) and the finance ministry after considering the industry's demand for re-setting of bank loans worth Rs 1 lakh crore.
On the sidelines of Apparel Export Promotion Council (AEPC) function, Textiles Secretary Rita Menon said, ‘we had a meeting with finance ministry day before yesterday and they have given us 10 days time, so we hope we can have something before New Year.’ Further the finance ministry is likely to examine the cases of sickness in textile units and accordingly prepare a report, which would be followed by inter-ministerial consultations.
Textile sector has been hit hard by a sharp fall in cotton yarn prices, poor domestic demand and curb on cotton yarn exports in last December. Now, SMEs in sectors like silk, power-loom, spinning are facing difficulty to repay term loans and financing working capital on the back of high interest regime.
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